आदिवासियों को पट्टा देकर जमीन देना भूली सरकार, 18 साल बाद भी खेतिहर किसान नहीं बन पाए आठ हजार आदिवासी

जवा क्षेत्र के डेढ़ हजार गरीबों को बांटे गए थे खेती योग्य जमीनों के पट्टे, जर्जर हो गए भू-अधिकार पत्र, नहीं मिला जमीन पर कब्जा

रीवा. कहने को तो नौ एकड़ जमीन की मालकिन। भूख और प्यास मिटाने के लिए गांव की गलियों में लोगों के सामने गिड़गिड़ा रही हैं। आप यकीन नहीं करेंगे सरकारी सिस्टम का ऐसा जख्म की दो वक्त की रोटी के लिए जिंदगी से जंग लड़ रही हैं। हम बात कर रहे हैं डभौरा क्षेत्र के पुरवा गांव की दो बुजुर्ग महिलाएं छोटकइया और बडक़इया आदिवासी की।
जमीन के इंतजार में दुनिया से चल बसे 9 आदिवासी परिवार जिले के जवा तहसील के घुमन गांव के सुदामापुर गांव में 9 आदिवासियों को खेतिहर किसान बनाने के लिए करीब 81 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया था, लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं मिला। पट्टे धारक के परिवार में मात्र दो महिलाएं बची हैं। छोटकइया और बडक़इया के नाम से सरकारी रेकॉर्ड में नौ एकड़ जमीन तो है, लेकिन उस पर गांव के ही लोगों का कब्जा है। Read more

Courtesy: Patrika