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नोट:- ब्लॉग में व्यक्त किए गए विचार सदस्यों के अपने हैं इसमें खान, खनिज और लोग (mm&P) की सहभागिता नहीं है। The views expressed in the blog are the members’ own and not of mines, minerals and PEOPLE (mm&P).
Bachi Singh Bist
जल ही जीवन है, समुदाय को समृद्ध करें।
हर नदी की तरह बेतवा भी अपनी धारा खो रही है। उसका उदगम अतिक्रमण और अति निर्माण से ग्रस्त हो रहा है। उसके बहते पानी में उद्योगों का गंदा पानी, खेती में मिलता जा रहा कीटनाशक और रासायनिक खादों के अवशिष्ट, मानव आबादी के मल मूत्र के साथ ही प्लास्टिक कचरा, लोगों के द्वारा छोड़ी गई पूजन सामग्री उसे लगातार प्रदूषित और जहरीला बना रहे हैं।…
Swaraj Das
कोयला नहीं अनाज चाहिए
A one-day event was organised on 26th February, 2023 to discuss the Climate change and dirty energy with the banner No More COAL Network Convention. The program was held at Chanda more conference hall in West Bardhaman, West Bengal. Total 81 people attended this event from different districts of West Bengal. Rajesh Tripathi & Savita Rath, were the environmental Activists from Chhattisgarh a
Rajesh Tripathi
“न लोकसभा न राज्यसभा सबसे बड़ी ग्रामसभा“
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जहाँ पर पाँचवी अनुसूची क्षेत्र लागू है। इस क्षेत्र में पहले से कई कोयला खदान संचालित है। जिसमे जिंदल, ईसीसीएल, हिंडाल्को, अम्बुजा, छत्तीसगढ़ पावर कारपोरेशन रायगढ़ एलाइंस की खदानें चालू है। जिसके कारण इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं से मौत हो रही है। साथ ही टीवी, कैंसर, दमा, सिलिकोसिस, जैसे बीमारी फ़ैल रही है। जिसको लेकर इस क्षेत्र के प्रभावितों द्वारा राष्ट्रिय हरित अधिकरण में याचिका दायर की गयी है। जो न्यायालय में विचाराधीन है। इस बाबत महामहिम राष्ट्रपति महोदया जी को ज्ञापन दिया गया है।
Ravindra Velip
Tribals from Caurem village (GOA) approach High Court for relief to save their sacred mountain against mining
A PIL Writ petition has been filed in the High Court of Bombay at Goa Bench yesterday on 05.04.2023 on the proposed mine ZAMBLIDADGA DONGOR IRON AND MANGANESE
ORE MINE (M.L. No.3/FeMn/79) at Sy.No. 19/0 of Caurem village.
Swaraj Das
30 जून को हूल दिवस मनाओ! आदिवासी संस्कृति, भाषा और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करो
30 जून भारत के अंगे्रजी हुकूमत के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण दिन रहा है। इसे इतिहास में संथाल हूल दिवस या संथाल विद्रोह दिवस के रूप में जाना जाता है। 1855 में इस ऐतिहासिक दिन पर संथाल परगना की राजमहल पर्वत श्रृंखला में संथाल आदिवासियों ने स्थानीय जमींदारों और साहूकारों के खिलाफ अपना विद्रोह शुरू कर दिया, जो अंग्रेजों के सक्रिय समर्थन से संथाल परगना के आदिवासियों का शोषण कर लूट कर रहे थे।
Mukesh Birua
Coming soon..