पत्थलगड़ी आंदोलन का उभार राजभवनों की निष्क्रियता का परिणाम है

कुछेक अपवाद छोड़ दिए जाएं तो संविधान लागू होने के बाद से आज तक किसी भी राज्य के राज्यपाल ने पांचवीं अनुसूची के तहत मिले अपने अधिकारों और दायित्वों का निर्वहन आदिवासियों के पक्ष में करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.

झारखंड के ‘खूंटी क्षेत्र’ से मोदी युग की मीडिया में सुर्खियों में आया पत्थलगड़ी का आंदोलन पांचवीं अनुसूची यानी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में तेजी से पनप रही परिघटना है. इसके ऐतिहासिक संदर्भ और अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक आयाम हैं जिन पर बात किए बगैर आज के संदर्भों में इसे समझना मुश्किल होगा. Read more

Courtesy: The Wire